". टोंक जिला Gk ~ Rajasthan Preparation

टोंक जिला Gk


टोंक जिला Gk

शुभंकर - हंस

प्राचीन नाम- रैढ

उपनाम - नवाबों की नगरी, प्राचीन भारत का टाटानगर, राजस्थान का लखनऊ

महाराजा मानसिंह ने भोला नामक ब्राह्मण को 12 गांव दान में दिए इन्हे ही वर्तमान में टोंक कहा जाता है।

टोंक राजस्थान की एकमात्र रियासत थी जिसका गठन अंग्रेजों द्वारा किया गया।

1817 में अंग्रेजों के साथ संधि होने के पश्चात टोंक रियासत की शासन व्यवस्था अमीर खाँ पिंडारी के हाथ में आ जाती है।

राजस्थान की एकमात्र मुस्लिम रियासत थी।

राजस्थान में पहली बार शिकार एक्ट टोंक में लाया गया।

रामेश्वरम (टोंक) - यहा पर चम्बल बनास व सीप नदी आपस मे मिलती है एवं त्रिवेणी संगम का निर्माण करती है।

बीसलपुर बांध 

यह बांध बीसलपुर (टोंक) में बनास, खारी व डाई नदी के संगम पर स्थित है, इसका निर्माण विग्रहराज चतुर्थ द्वारा करवाया गया।

यह राजस्थान का एकमात्र कूक्रिट से निर्मित बांध है।

यह राजस्थान की सबसे बड़ी पेयजल परियोजना है।

बीसलपुर परियोजना का विकास बनास नदी पर टोंक मे 1988-89 मे किया गया।

यह राजस्थान कि सबसे बड़ी पेयजल परियोजना है।

टोरडी बांध 

अब्दुल कलाम अरबी फारसी संस्थान टोंक में स्थित है, इसकी स्थापना 1978 में हुई।

दुनिया की सबसे बड़ी कुरान मस्जिद टोंक में स्थित है।

सुनहरी कोठी - टोंक

मूल नाम - शीशमहल
यह दो मंजिला है  इसकी प्रथम मंजिल का निर्माण अमीर खां भंडारी द्वारा शुरू करवाया गया एवं वजीरउददौला द्वारा पूर्ण करवाया गया तथा इसकी दूसरी मंजिल का निर्माण इब्राहिम खाँ द्वारा करवाया गया।

मुबारक महल - यहां पर ऊंट की बलि दी जाती थी।

वनस्थली विद्यापीठ - विवाई (टोंक)

स्थापना - 06 अक्तूबर 1935
यह राजस्थान की पहली A++ यूनिवर्सिटी है इसकी स्थापना हीरालाल शास्त्री द्वारा की गई थी।
इसका प्रारंभिक नाम शांता शिक्षा कुटीर था।

टोडारायसिंह नगर

स्थापना- रायसिंह 
संत पीपा की गुफा यही स्थित है।
हाडी रानी की बावडी यही स्थित है।

अन्य बावडिया 

टोडा की बावडी
ख्वाजा की बावडी
सरडा की बावडी 
भुपति की बावडी 

रैढ सभ्यता- रैढ(टोंक)

  • इस सभ्यता का विकास ढील नदी के किनारे रेढ (टोंक) में हुआ है।
  • उत्खननकर्ता - दयाराम साहनी व केदारनाथ पुरी।

विशेषताएं

  • मालव गणराज्य के सिक्के भी प्राप्त हुए।
  • चांदी की आहत मुद्राएं या पंचमार्क सिक्के प्राप्त हुए। यहां से एशिया में सबसे ज्यादा पंचमार्क सिक्के प्राप्त हुए इसलिए इसे प्राचीन भारत का टाटानगर भी कहा जाता है।
  • लौहे के भण्डार प्राप्त हुए।
  • बंदर के समान बर्तन प्राप्त हुए।
  • मृणमुर्तियो पर मथुरा कला की चाप।
  • आलीशान मकानों के अवशेष प्राप्त हुए

केन्द्रीय भेड एवं ऊन अनुसंधान केन्द्र- अविकानगर (टोंक)

स्थापना - 1962

डिग्गी कल्याणजी का मेला

भाद्रपद शुक्ल एकादशी
इसमे पदयात्रा तारकेश्वर (जयपुर) से शुरू होकर मालपुरा टोंक तक आती है।

दामोदरदास व्यास

इनहे राजस्थान के लौह पुरुष के रूप मे जाना जाता है।

माण्डकला गाँव 

इसे राजस्थान का मिनी पुष्कर कहा जाता है।

नमदे उद्योग हेतु टोंक प्रसिद्ध है।

बीडी उद्योग हेतु टोंक प्रसिद्ध है।

संत धन्ना का जन्म टोंक मे हुआ।

राजमहल गाँव- यह गार्नेट उत्पादन हेतु प्रसिद्ध है।

दडा महोत्सव टोंक का प्रसिद्ध है।

राजस्थान मे सर्वप्रथम राजकीय बस सेवा 1952 मे टोंक से हुई।

चारबैत लोकनाट्य टोंक का प्रसिद्ध है।

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